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लेखनी कहानी -02-Aug-2023 ब्लैक रोज

भाग 5 


"सुनती हो क्या" ? सलीम ने अपनी बीवी फातिमा को जोर से आवाज लगाई । 
"जी, कहिए" ? फातिमा दौड़ते हुए आई और कहा । 
"बेगम, मैं कह रहा था कि आज रात मुझे दिल्ली जाना है । मेरी अटैची लगा देना" । 
"जी, बेहतर है । पर अभी कल परसों ही तो गये थे आप दिल्ली, आज क्या काम आ गया जो फिर से दिल्ली जाना पड़ रहा है" ? फातिमा सलीम के पास आकर डरते हुए बोली । 
"क्या करोगी जानकर ? आप अपनी हद से आगे बढ़ रही हैं । आपको अपनी हदें पता है ना ? फिर आप ऐसा क्यों कर रही हैं ? आपका काम है हुक्म बजाना, बस । सवाल करने की इजाजत आपको नहीं है । समझ गईं या दूसरे तरीके से समझाना पड़ेगा ? आप तो अटैची लगा देना बस" । सलीम उस पर बिगड़ते हुए बोला । 

फातिमा को अपनी हदें पता थी इसलिए वह अपनी हद से आगे कभी नहीं बढ़ी थी । उसे शादी की अगली रात को ही उसकी हदें समझा दी गई थीं । कुछ हदें उसे तभी समझ आ गईं थीं । जो कुछ समझने से बाकी रह गया था वह फरीदा के कत्ल के पश्चात समझ में आ गया था उसे । उसके बाद से आज तक उसने अपनी हदें कभी नहीं लांघी थी । 

एक अच्छी बीवी की तरह रहने लगी थी वह घर में । खाओ, पीओ और मौज करो । इसमें उसे पूरी आजादी थी पर सवाल करने की इजाजत नहीं थी उसे । केवल हुक्म बजाने का ही काम था उसका । इसमें जरा सी भी कोताही सहन करने योग्य नहीं थी । उसे पता था कि हदें लांघने का अंजाम क्या होता है । उसने इसी घर में अपने सामने चार चार कत्ल होते देखे हैं । इससे अधिक देखने की ताकत अब बची भी नहीं थी उसकी । आश्चर्य की बात तो यह थी कि उन चारों केसेज में आज तक सलीम का बाल भी बांका नहीं हुआ है । उसकी धाक ही ऐसी है कि कोई भी व्यक्ति सलीम के सामने मुंह खोलता ही नहीं है । जिसने भी अपना मुंह खोला , वह सीधा जन्नत पहुंचा है । उस पर कितने मामले चल रहे हैं, यह तो खुद पुलिस को भी नहीं पता । उसके सब मामले वकील सुलटा देते हैं । उसे तो अदालत भी नहीं जाना पड़ता है । 

पैसे में बहुत ताकत होती है । बड़े से बड़े वकील को मुंहमागा पैसा दो , फिर वह सब कुछ "मैनेज" कर देता है । हां, ये अलग बात है कि और दूसरे वी आई पी मामलों में उसे कभी कभार अदालत जाना पड़ जाता है । आखिर सांसद और विधायकों को सरेआम गोली से उड़ाने के जो मामले चल रहे हैं उसके । उनमें कोर्ट भी सीरियस होते हैं । बाकी मामलों में कोई सीरियस नहीं होता । न पुलिस, न सरकारी वकील और न कोर्ट । आम आदमी की यही वैल्यू है ।  जब उसने पहली बार फरीदा का कत्ल देखा था तो वह सिर से लेकर पांव तक बुरी तरह कांप गई थी और बेहोश हो गई थी । बड़ा खौफनाक मंजर था वह । 

दरअसल हुआ यूं कि फातिमा की शादी के दो साल बाद सलीम के छोटे भाई अलीम का निकाह था । उस निकाह में सलीम के सारे रिश्तेदार आये हुए थे । सलीम के फूफा और फूफी भी आये थे । साथ में उनकी बेटी फरीदा भी आई थी । फरीदा उस समय लगभग 18 साल की रही होगी । गोरी चिट्टी और भरे भरे बदन की थी फरीदा । फरीदा पहली नजर में ही सलीम की आंखों को भा गई । सलीम भी माशाल्लाह बहुत स्मार्ट था । वह भी फरीदा को जंच गया था । उस शादी की भागमभाग में दोनों की आंखों के पेंच लड़ गये थे और पता नहीं शादी के गहमागहमी भरे माहौल में उन्हें कहां एकान्त मिल गया जो वे दोनों "एकाकार" हो गये थे । इस बात का पता तो एक महीने बाद चला था जब फरीदा अकेली उनके घर आई और सबके सामने कहने लगी कि उसके पेट में सलीम का बच्चा पल रहा है । अब सलीम को उससे निकाह करना होगा । तब सलीम ने कहा था
"मैं तुझसे निकाह नहीं कर सकता हूं । मैंने तो मौज मस्ती के लिए "वो" सब किया था । सुन्दर लड़कियां मेरी कमजोरी हैं । जो भी लड़की मुझे पसंद आ जाती है उसे मैं हासिल करके ही रहता हूं , चाहे राजी राजी या चाहे गैर राजी । फरीदा, तू तो राजी राजी सोई थी मेरे साथ । तुझसे तो मैंने कोई जोर जबरदस्ती नहीं की थी । फिर इस बच्चे को मुझ पर क्यों थोप रही है" ? सलीम झल्ला उठा था । 
"उस समय मैं भी तुम्हारी जवानी के आकर्षण में तुमसे दिल लगा बैठी थी और तुम्हें अपना सब कुछ दे दिया था । पर मुझे यह पता नहीं था कि इसका अंजाम यह बच्चा होगा ? अब मैं इस बच्चे को लेकर कहां जाऊं ? अभी तक तो मैंने अपने घर में भी कुछ नहीं बताया है । पर कब तक छुपाऊंगी इसे ? मैं नहीं बताऊंगी तो क्या , मेरा पेट बता देगा एक दिन । फिर उस दिन क्या होगा , यह रब ही जानता है । मैं आपको फातिमा से तलाक लेने को तो नहीं कह रही हूं । मैं आपकी दूसरी बीवी बनकर रहने को तैयार हूं । मुझे और कुछ नहीं चाहिए बस , तुम्हारा साथ चाहिए" । कहकर फरीदा जोर जोर से रोने लगी । 

घर में कोहराम मच गया । फरीदा चूंकि सलीम की फूफी की लड़की थी इसलिए उसके साथ सबकी सुहानुभूति भी थी । सलीम पर उससे निकाह का दबाव पड़ने लगा । फातिमा को सलीम पर बहुत गुस्सा आ रहा था । एक तो उसने अपने फूफा की बेटी से पाप किया था दूसरे अब एक और निकाह की तैयारी होने लगी थी । यानि एक सौत लाई जा रही थी घर में । पर वह कर भी क्या सकती थी । उसकी हैसियत थी ही क्या ? 

इतना नाटक होने पर सलीम ने फरीदा को अपने कमरे में बुलाया और फातिमा के सामने उससे बातचीत करते हुए कहा "एक बात बताओ फरीदा , क्या तुम अपने घरवालों को बताकर नहीं आई हो" ? 
"नहीं" 
"क्या कहकर आई हो" 
"कि अपनी सहेली के पास जा रही हूं" 
"क्या तुम मेरे साथ निकाह करना चाहती हो" ? 
"बेशक" 
"तो फिर मेरी एक शर्त है कि तुम निकाह के बाद यहां इस घर में नहीं रहोगी । बल्कि इस शहर में भी नहीं रहोगी । हम और तुम दूसरे शहर में रहेंगे । मैं यहां फातिमा के साथ रहूंगा और दूसरी जगह तुम्हारे साथ ।  बोलो मंजूर है" ? 

अंधे को क्या चाहिए ? दो आंखें । वो फरीदा को मिल रही थीं । वह तुरंत राजी हो गई और सलीम के गले से झूल गई । उसकी मुराद पूरी होने जा रही थी । इतने में सलीम ने फरीदा से कहा "पर, तुम्हें एक कागज पर कुछ लिखकर देना होगा" । सलीम कुछ सोचते हुए बोला । 
"कुछ भी लिखवा लो मुझसे । चाहे कोरे कागज पर दस्तखत करवा लो । आप जो भी कहेंगे, वो मैं करने को तैयार हूं" । फरीदा खुशी से बोली । 

इतने में सलीम एक कागज और पैन ले आया । उन्हें फरीदा को पकड़ाते हुए बोला "मैं जो जो बोलूंगा, तुम उसे कागज पर लिख लेना । ठीक है" ? सलीम उसकी आंखों में देखकर उसे तौलते हुए बोला । 
"जी, ठीक है" । फरीदा उत्साह से बोली । 
"तो फिर लिखो" । 

फरीदा लिखने लगी "मैं फरीदा अपने होशोहवास में यह लिख रही हूं कि मैं इस दुनिया से तंग आ गई हूं । इसलिए मैं अपनी मर्जी से यह दुनिया छोड़कर जा रही हूं । यह मेरा अपना फैसला है । अलविदा" 

फरीदा से लिखवा कर वह कागज सलीम ने अपने पास रख लिया । फरीदा को समझ में नहीं आया कि सलीम ने ऐसा क्यों किया था ? यह बात फातिमा को भी समझ में नहीं आई कि सलीम ने फरीदा से ऐसा क्यों लिखवाया है ? वो तो जब रात में सलीम ने दो बजे उसे जगाया था तब समझ में आई थी वह बात । 
"उठो फातिमा । फरीदा के कमरे में चलना है" सलीम उसे जगाकर कहने लगा 
"अब ? इतनी रात को ? क्यों" ? 
"मैं चाहता हूं कि तुम आज मुझे अच्छी तरह समझ लो । आज तुम्हें तुम्हारी सारी हदें भी पता चल जानी चाहिए । तुम आज मुझे इतना समझ लो कि अब इसके बाद और कुछ समझने के लिए बचे ही नहीं" । सलीम हंसते हुए बोला । 

फातिमा उसकी पहेलियां समझ नहीं पाई थीं । वह सलीम को टुकुर टुकुर देखती रह गई । सलीम उसे हाथ पकड़कर फरीदा के कमरे में ले गया । 

फरीदा सो रही थी । सलीम ने फरीदा को धीरे से जगाया तो वह एकदम से चौंककर उठ बैठी । सलीम और फातिमा को अपने कमरे में देखकर वह विस्मय से दोनों को देखने लगी । "अरे इतना क्यों चौंक रही हो ? मुझे नींद नहीं आ रही थी इसलिए मैं तेरे पास चला आया" । सलीम उसे प्यार से सहलाते हुए कहने लगा । 

फरीदा को यह बात तो समझ में आ गई कि सलीम को नींद नहीं आ रही थी इसलिए वह उसके पास चला आया । पर उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने साथ फातिमा को क्यों लाया था ? वह प्रश्न वाचक निगाहों से दोनों को देखती रही । 

सलीम खामोशी तोड़ते हुए बोला "दरअसल बात ये है कि फातिमा बहुत "ठंडी" है और मुझे "गर्म खून" पसंद है ।  फातिमा में अब वो मजा नहीं रहा जो पहले कभी हुआ करता था । तू अभी जवां है, कमसिन है और माशाल्लाह "रसगुल्ला" है । फातिमा से आज मेरा मन नहीं भरा था इसलिए मूड फ्रेश करने के लिए मैं तेरे पास आ गया । फातिमा को इसलिए साथ लाया हूं जिससे वह तुझसे सीख ले कि कैसे क्या करना है । चल, फटाफट अपने कपड़े उतार और शुरू हो जा" । सलीम उसे आदेश देते हुए बोला । 

सलीम की इस बात से फातिमा और फरीदा दोनों ही अवाक रह गईं । फातिमा को तो सपने में भी पता नहीं था कि सलीम उसके साथ ऐसा करेगा । यदि वह ऐसा जानती तो यहां नहीं आती । तो क्या सलीम उसे फरीदा के सामने जलील करने के लिए लाया था ? 

फरीदा को भी समझ में नहीं आ रहा था कि यदि सलीम अपनी जिस्मानी भूख मिटाना चाहता था तो फिर अकेला आ जाता । वह फातिमा को लेकर उसके पास क्यों आया ? वह सोच ही रही थी कि सलीम बोला 
"अगर तुझे ऐतराज है तो मैं वापिस चला जाता हूं" । कहकर सलीम वापिस जाने को मुड़ा । इतने में फरीदा उठकर खड़ी हो गई और कहने लगी 
"मैं आपकी हर ख्वाहिश पूरी करूंगी । आप जैसा कहोगे , मैं वैसा ही करूंगी" । 
और वह अपने कपड़े उतारने लगी । यह देखकर फातिमा वहां से जाने लगी तो सलीम ने उसका हाथ पकड़कर रोक लिया और कहने लगा "तुम कहां जा रही हो जानेमन ! यहीं रहकर सब कुछ अपनी आंखों से होते हुए देखो और अब इसकी आदत भी डाल लो । अब आगे से ऐसा रोज होगा । समझ गई जानेमन" । 

फातिमा को काटो तो खून नहीं । वह अपना हाथ छुड़ाकर जाना चाहती थी मगर सलीम की पकड़ बहुत मजबूत थी इसलिए वह अपना हाथ छुड़ा नहीं सकी थी । तब तक फरीदा अपने सारे कपड़े उतार चुकी थी । फातिमा फरीदा को अपने सम्मुख निर्वस्त्र देखकर शर्म से गड़ी जा रही थी और अपना हाथ छुड़ाने के लिए कसमसा रही थी । इतने में सलीम ने एक जोरदार थप्पड़ फातिमा के गाल पर जड़ दिया । फातिमा की आंखों के सामने चांद तारे नाचने लगे । 
"साली , रंडी । जैसा कहता हूं करती जा नहीं तो जान ले लूंगा तेरी । और हां, रोना है तो अंदर ही अंदर रोना, मुंह से बिल्कुल आवाज नहीं निकलनी चाहिए । समझ गई या अभी और समझाने की जरूरत है" ? 
सलीम का रौद्र रूप देखकर फातिमा भय से थर थर कांपने लगी । फातिमा ने गर्दन हिलाकर बता दिया था कि उसे बात समझ में आ गई है । 

सलीम और फरीदा अपने काम में जुट गये । फातिमा ने अपनी आंखें बंद कर ली । अपने शौहर को अपनी आंखों के सामने किसी दूसरी औरत के साथ यह कृत्य करते हुए कौन देख सकता है ? वह अपनी तकदीर को कोसने लगी । उसकी आंखों से अविरल आंसू बह रहे थे पर उनका मोल जानने वाला वहां कौन था ? 

करीब पंद्रह मिनट बाद सलीम और फरीदा अपने काम से "फ्री" हो गये । दोनों ने अपने अपने कपड़े पहन लिए । फरीदा के चेहरे पर भी संतुष्टि के भाव थे । हालांकि वह अभी भी शरमा रही थी इसलिए उसकी गर्दन अभी भी नीचे ही थी । उसे सलीम के इरादे पता नहीं थे । सलीम ने अपनी जेब से एक रस्सी निकाली और उसका फंदा बनाकर फरीदा के गले में डाल दिया । फरीदा जब तक कुछ समझ पाती तब तक सलीम ने वह फंदा जोर से कस दिया । फरीदा की आवाज उसके गले में ही घुटकर रह गई । वह बुरी तरह तड़पने लगी । फातिमा ने जब यह दृश्य देखा तो वह सिर से लेकर पैर तक कांप गई थी । उसके मुंह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी । वह फरीदा को तड़प तड़प कर मरते हुए देखने के अलावा और कुछ नहीं कर सकती थी । उस दिन उसे अपनी स्थिति पता चल गई थी । वह एक "गुलाम" से ज्यादा कुछ नहीं थी । यह दृश्य देखकर वह बेहोश हो गई ।
सलीम ने फरीदा का शव पंखे से लटका दिया और फरीदा के कमरे में उसका "स्यूसाइड नोट" रख दिया । सलीम फातिमा को लेकर अपने कमरे में आ गया और चैन से सो गया मगर फातिमा की कंपकंपाहट कम नहीं हो रही थी । 

श्री हरि 
11.8.23 

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1 Comments

Mohammed urooj khan

25-Oct-2023 12:53 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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